गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

सूरजमुखी : सूरज से दुःखी

...एक कविता पढ़ रहा था जिसमें सूरजमुखी की तरह सूर्य की ओर मुड़नें की उपमा दी गई थी। अमूमन सूरजमुखी की उपमा ‘सूरज के प्रति प्रेम’ या ‘रोशनी की ओर उन्नमुख’ होने के अर्थ में दी जाती है। लेकिन अगर गौर से देखा जाए तो सूरजमुखी वस्तुतः सूरज से दुखी है।


....कैसे?...

...वो ऐसे कि सूरजमुखी के सूरज की ओर होने का कारण ये है कि उसके फूल की डाली का वह हिस्सा जो सूरज की तरफ है वह कम विकास कर पाता है, या यूँ कहें कि जो हिस्सा सूरज के विपरीत / अंधेरे की तरफ होता है उसमें विकास ज्यादा होता है। फलतः विकास की असमानता एक घुमाव पैदा करती है जो सूरज की ओर झुका होता है।

अब देखा जाए तो सूरज की ओर का यह झुकाव तने के “सूरज की रोशनी में कम विकास” करने की वजह से ही है। और लोग इसे ‘सूरज के प्रति प्रेम’ के रूप में देखते हैं। है न कितनी उलटबाँसी।

मुझे तो ये लगता है कि सूरजमुखी सूरज की ओर गुस्से से देखती हुई कहती है कि “तेरी वजह से मेरी कमर टेढ़ी हो रही है बेशर्म!” आपको क्या लगता है??

बुधवार, 17 मार्च 2010

उल्टा सब संसार

कभी गौर से सोचा है की ये दुनिया गोल क्यूँ है? .....जरूरत ही नहीं पड़ी.....भूगोल की किताबों में काफी विस्तार से समझाया गया है........रट के लिख भी चुके हैं, बाकि दुनिया जाये तेल लेने!


खैर कुछ लोग हैं जो सोचते भी हैं.......उनके लिए ही विज्ञान विषय बनाया गया है...... जो हमें दुनिया के गोल होने के कई कारण बताता हैं........कुछ इतने से संतुष्ट हो जाते हैं!!

लेकिन कुछ लोग हैं जो इससे भी आगे जा के ये पूछ बैठते हैं कि दुनिया गोल ही क्यूँ है? बिल्कुल वाज़िब सवाल है साहब!

इसके भी कई ज़वाब हो सकते हैं, पर मेरा मानना है कि, दुनिया गोल इसलिए है क्यूँकि गोला ही एक ऐसा आकार है जो हर तरफ से एक जैसा है....यानि इसमें उल्टा-सीधा एक समान होता हैं, जैसी ये दुनिया खुद है.

एक गोला बनता कैसे है? जब किसी एक बिंदु के इर्द-गिर्द एक समान दूरी के सारे बिंदुओं को मिला दिया जाता है तो एक गोला बनता है. यानि के गोले में हर बिंदु का विपरीत बिंदु समाया होता है. बोले तो ठीक इस दुनिया के जैसे जिसमें हर चीज का उल्टा भी मौजूद है.

अब जो उल्टा है सो तो उल्टा है ही, जो सीधा है वो भी दरअसल उल्टे का उल्टा ही है.

लब्बो-लुआब ये है कि किसी ने सही कहा है कि.....उल्टा सब संसार!!

इसीलिए मेरा मानना है कि इस दुनिया में अपनी खोपड़ी उल्टी लगा के ही कुछ सीधा निकाला जा सकता है, क्योंकि...............उल्टा सब संसार!!

तो दोस्तों मेरे साथ अपनी खोपड़ी उलटने को तैयार हैं न???